1st Prize
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कवि परिचय :- बारिश केर बूंध कविता से कवि अपन मन केर बात के एक मिंजूर केर रुप में तुलना करेला और अपन मन केर बात के प्रकट करेला, "बारिश केर बूंध" केर नाम से।
।। बारिश केर बूंध ।।
बारिश केर बूंध आकाश से गिरेला
।। बारिश केर बूंध ।।
बारिश केर बूंध आकाश से गिरेला
टप-टप मोर हृदय धाढकेला,
मोर मन करेला मोई मिंजूर बैनजब,
बारिश केर बूंध गिरेला मोर मन थिर नैई रहेला।
मोर मन करेला मोई मिंजूर बैनजब,
बारिश केर बूंध गिरेला मोर मन थिर नैई रहेला।
बारिश केर बूंध आकाश से गिरेला
हीरा-मोती गिरेला जईसेन लागेला,
बारिश केर बूंध में भिंजेयक ले आछा लागेला,
बारिश केर बुंध मे भिंज-भिज॔ के नाचेक मन करेला।
बारिश केर बूंध में भिंजेयक ले आछा लागेला,
बारिश केर बुंध मे भिंज-भिज॔ के नाचेक मन करेला।
बारिश केर बूंध गिरेला
एक मिंजूर सपना में आवेला,
अपन खुब-सुरति र॔ग बिर॔ग पाईख के पसराई के नाचेला,
सैहे लेखे मोर मन भी नाचेक मन करेला।
एक मिंजूर सपना में आवेला,
अपन खुब-सुरति र॔ग बिर॔ग पाईख के पसराई के नाचेला,
सैहे लेखे मोर मन भी नाचेक मन करेला।
सैहे बेरा बारिश केर बूंध टप-टप बंध होवेला,
कवि केर आईखॅ खुलेला,
कवि देखेला की बारिश केर बूंध बंध होवेला
कवि अपन घर जाईला।
कवि केर आईखॅ खुलेला,
कवि देखेला की बारिश केर बूंध बंध होवेला
कवि अपन घर जाईला।
- Rosehlia Kujur
Baganpara, Assam
Baganpara, Assam
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ReplyDeleteGood.... keep it up dear 😊
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