झुरनी उराँव और लूथर तिग्गा हैं भारत के पहले आदिवासी कुँड़ुख़ सिने कलाकार।

मुझे एक ऐसा दुर्लभ फिल्म का क्लिप मिला है, जिसे देखकर मैं बहुत गर्वान्वित महसूस कर रहा हूँ। इस फिल्मी क्लिप का संवाद कुँड़ुख में है। झुरनी उराँव और लूथर तिग्गा ने अभिनय किया है। इन दोनों सिने कलाकारों की भोलेपन से भरी अदाकारी ने मेरा मन मोह लिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों कलाकारों को आदिवासी सिने कलाकारों में पहले अभिनेता और अभिनेत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ है। यह क्लिप सुप्रसिद्ध फिल्मकार श्री ऋत्विक घटक की बांग्ला फिल्म "अजांत्रिक" का एक अंश है; इस अंश का पूरा संवाद कुँड़ुख में है। इस फिल्म को मैंने पूरा देख लिया है। इस क्लिप में पूरा सीन नहीं है, परंतु पूरा फिल्म को देखने से पता चलता है कि कुँड़ुख सीन 1 घंटे 7 मिनट के बाद शुरू होती है और 6 मिनट तक चलती है। फिल्म में एक बांग्ला कलाकार हैं जिनका नाम काली बनर्जी है। वे टेक्सी चला रहे हैं। रास्ते में उनकी टैक्सी खराब हो जाती है। और वे उसे ठीक करने के लिए कुछ सोच ही रहे थे तभी पास की एक बस्ती से नगाड़े और मांदर की गूँज उनके कानों तक पहुंचती है। उसके मन में और करीब से आवाज सुनने की ईच्छा जागृत होती है। वे धीरे धीरे बस्ती तक पहँच जाते हैं। गाँव की पकडंडी से गाजे बाजे के साथ नाचते गाते और हाथों में झंडा लिए हुए एक भीड़ गुजरती है। शायद यह उराँव बराती की टीम है। फिल्म के अगले दृश्य में कुछ जवान और युवतियाँ सजधज कर नाच रही हैं उनके हाथों में डालियाँ है संभवत: करम की डाली रही होगी। अगले सीन में ग्रामीणों का एक बड़ा हुजुम नाच-गान करते हुए दिखाई देते हैं। इन तीनों सीन में ग्रामीण कुछ पारंपरिक गीतों को गा रहे हैं। समझने का कोशिस किया परंतु स्पस्ट नहीं होने के कारण गीतों को समझ नहीं पाया। काली बनर्जी दूर से नाच-गान का आनंद ले ही रहे थे कि उन्हें एक जोड़े युवक और युवती की बातचीत सुनाई देती है। यही दोनों झुरनी उरांव और लूथर तिग्गा हैं जो कुॕड़ुख में बात कर रहे थे। जिनकी बातचीत इस क्लिप में दिखाया गया है। 

इस छोटा सा सीन में अभिनेत्री अपने हीरो अभिनेता से रूठी हुई दिखाई देती है, और हीरो उसे मनाने की कोशिस करता है। संवाद के अनुसार हीरो ने अपनी हिरोइन से तोहफे में हँसली(गले का एक आभूषण) और अँगूठी देने का वचन दिया है। लेकिन इसे वह देने से टालता रहा है, जिसके कारण हिरोइन रूठी हुई है।

दूसरे सीन में अभिनेत्री को काली बनर्जी के टेक्सी में ओवरब्रिज के ऊपर से गुजरते हुए दिखाया गया है। अभिनेता लूथर तिग्गा टेक्सी को पीछे से धक्के दे रहा है, और काली बनर्जी भी अगले हिस्से पर धक्के देते हुए नजर आते हैं। जैसे ही वे ओवरब्रिज के बीचोंबीच आते हैं अभिनेत्री की नजर राँची रेलवे स्टेशन पर पड़ती है। आज भी डोरंडा राँची के पास इस ओवरब्रिज को देखा जा सकता है। अभिनेत्री टेक्सी में पीछे की ओर बैठी है और अभिनेता धक्के दे रहा है। दोनों के बीच हँसी ठिठोली के साथ बातचीत भी हो रही है। अभिनेत्री फिर से अपने हीरो को उसके तोहफे देने की बात याद दिलाती है, और उसे बाजार जाने के लिए राजी कर लेती है। उसके बाद दोनों प्रफुलित होकर उछलते कूदते हुए बाजार की ओर दौड़ने लगते हैं।

यह फिल्म 1 घंटे 44 मिनट का है जो 23 मई 1958 में रिलिज हुआ था। इस बांग्ला फिल्म का स्क्रीप्ट तैयार किया था सुबोध घोष ने और निर्देशन ऋत्विक घटक ने किया था। इस फिल्म का निर्माण एल. बी. फिल्मस इंटरनेशनल ने किया था।

झुरनी उराँव और लूथर तिग्गा की अभिनय क्षमता बॉलीवुड के कलाकरों की अभिनय क्षमता से किसी भी दृष्टि में कम नहीं है। झुरनी उराँव और लूथर तिग्गा ने और फिल्म के निर्माताओं ने कुँड़ुख भाषा का नाम ऊँचा किया है। उन्हें बहुत बहुत आभार।

श्री लूथर तिग्गा के दो बेटे राँची में, और एक बेटा दिल्ली में है। उनकी एक बहू महानिदेशालय : हथकरघा, हस्तशिल्प और रेशम उद्योग, रातू रोड राँची के अधीन को-आॅपरिटिव एक्सटेंशन आॅफिसर के पद पर कार्यरत है। उनका घर बहु बाजार, राँची में है।

श्री लूथर तिग्गा करीब 88 वर्ष की उम्र में दिनांक 07 अगस्त 2020  को अंतिम श्वास लिये। 

झुरनी उराँव पहले ही इस दुनियाँ को छोड़ चुकी है। परंतु उनके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है।


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