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         ARTICLE WRITING COMPETITION - 2020 
                      🏆2nd posotion winner 🏆


                                " करम पर्व " 

 इस धरती पर शुरू से ही आदिवासी भादो शुकल एकादशी को करम का त्योहर बड़ी धूम-धाम से मनाते है , लेकिन कितना साल से मानते आ रहे है उसका कौई ठोस लिखित प्रमान नहीं है । यह प्रकृति पर्व है । इस प्रकृति पर्व को मूल वासी आदिवासी लौग पवित्रता के साथ मनाते आ रहे है । करम डाली को अखाड़ा में गाड़ने के लिए बहुत विधि-विधान और पवित्रता के साथ व्रंत-पूजा करते है ।

यहाँ एक प्रश्न उठता है कि आखिर आदिवासी करम पेड़ कि डाली को ही क्यों अखाड़ा में गाड़ते है और  उसकी पूजा करते है ?

 कारण करम पेड़ मात्र एक पेड़ नहीं है । ये आदिवासियों का अस्तित्व रक्षक आध्यात्मिक जीवन-दर्शन और समाजिक परम्पराओं का प्रतीक है । विश्वास रखने वाले प्रकृति पुजा और उसके प्रति अटूट आस्था रखाते है और इस करम को "धार्मिक त्योहार" के रूप में मानते है । और कुछ गीत गाते है ।
  इस प्रकार है -
                      भादो का एकादशी करम गाड़ाय
                       टुतिया ही रंथ चालाय हों - हों,
                       गाँव केरा पहान राजा करम गाड़ाय हो
                       राजा ठाकुर रंथ चलाय हो .... ।

1. करम ही मानव का असली धरम है । करम के बिना धरम नहीं हो साकता है । इसलिये हर कुवांरी बहन अपने भाई के सुख - शान्ति के लिए उपवास व्रत रखती है । करम कि कहानी में बुराई पर अच्छाई कि जीत कि शिक्चा  मिलती है । उसके आधार पर हम अपना करम पर विश्वास करते है । गीता में भी उपदेश मिलती है कि "कर्म ही धमे है" ।

2. राजा करम के लिए जवा उठाई जाता है । राज ही यहाँ का प्रमुख करम है । कुंवारी लड़कियाँ जवा उठाती है वो जब तक करम का दिन नहीं पहुँचता है तब तक उसे रोज स्नान कर पानी छिड़कती है । जवा ब्यक्तिगत रूप से भी उठती हेै और एक पंच जवा को परना के दिन अखड़ा में  लाकर समूहिक रूप से उखाड़ते है और आशीर्वाद के रूप मे सभी को बाटते है । जवा फुल के संवध मे करम गीत - गाते है - 
                             कुड़ुख भाशा में -
                             एक पेल्लो जवा जापचा
                             हरदी पानी लगावबचा हों ....
                             चेड़ पेल्लो  जवा जापचा
                             हरदी पानी लगाबचा हों .... ।

3. करम डाली काटने कि विधि या नियम होता है । शाम को चार - पाँच बजते ही लड़कें लड़कियाँ बच्चे नये - नये रंग - बिरंगे कपड़े पहन कर अखड़ा में जमा होते है । मंदार और गीत के साथ झुम उठते है और गाजा - बाजा के साथ चलते है । गाँव के पाहन उसको काट सकता है । जब सभी दल बल के साथ करम पेड़ के पास पहुँचते है तब पाहन सब से पहले करम पेड़ पर पानी उड़ेल कर उसे धो कर पवित्र करता है और तीन फरेलेपट कर कपड़ा पहनाता है टीका सिन्दूर देता है, धूप अगरबती जलाता है और श्रदा के साथ प्रार्थना करता है । करम पेड़ को दण्डवत प्रणाम कर पेड़ के  उपार चाड़ता हेै और चुना हुवा तीन डाली को तीन तीन छेव में काटते हेै  जितने भी उपवास किये हुए पाखती नीचै रहते है उसे झोकते है । करम डाल को जमीन से छुने नहीं दिया जाता है । जमीन से छुने से अपवित्र माना जाता है ।
         इस प्रकार तीन डाल को काट कर तीन उपवास कुंवारी लड़कियाँ पकड़ती है और गीत - गाया जाता है -
                           इतई दिने करम
                           डाड़ेरहले करम
                           डाड़ेरहले .... ।

जब अखड़ा में पहुँचता है तो उसे भी अखड़ा में तीन बार नाचते - गाते हुए घुमाया जाता है । पाहन अखड़ा मे फिर से नियाम नीति के साथ तीनों डाल के गड़हा में  डाल देता है । धूप - धुना देते है और फलों से सजाते है । करम की पूजा होता है और करम कहानी गाँव का पाहन के दुआर किया जाता है । कहानी में दो भाइयों करमा और धरमा का अच्छा और बुरा का ही कहानी कहा जाता है कहानी खतम होता है और फिर गाना शुरू हो जाता है -
                          माया दया लगी देवरा
                          झारिया देबे देवरा
                          फुकियों देबे देवरा .... ।

4. परना दिन :- करम पूजा का दूसरा दिन को बासी या परना दिन कहते है । इस दिन, दिन भर अखड़ा में नाच - गान चलता रेहता है । 

5. करम का वीसर्जन :- करम वीसर्जन पहन अखड़ा में विधि पूजा करते हुए करम को उखाड़ देता है और तीन लड़कियाँ उसे अखड़ा में तीन बार धुमती है । धुमाने के लिए जिस तरह से करम को जंगल से काट कर लाने के समय उन गीत गाते है वेसा ही घर - घर घुमने के समय बजते है -
                           इँऊ उल्ला राहचकी करम
                           जोखयन .... पेल्ल्यान खूश
                           रीझा बचकीन.... ।

 इस तरह से करम से करम पर्व समाप्त होता है ।
              “ जय जौहर “ 


By - Prerita Toppo
Nagaon, Assam